Saturday 26 March 2022

कविता. ४३९३. किसी कोशिश संग आशाओं कि।

                                                     किसी कोशिश संग आशाओं कि।

किसी कोशिश संग आशाओं कि लहर पहचान दिलाती है सपनों कि पुकार अल्फाज के एहसास देती है राह कि समझ सपना सुनाती रहती है।

किसी कोशिश संग आशाओं कि मुस्कान अरमान दिलाती है नजारों कि सुबह अंदाजों के परख देती है किनारों कि पुकार सपना सुनाती रहती है।

किसी कोशिश संग आशाओं कि दास्तान पुकार दिलाती है अरमानों कि सोच इशारों के तराने देती है कदमों कि आहट सपना सुनाती रहती है।

किसी कोशिश संग आशाओं कि पहचान मुस्कान दिलाती है अंदाजों कि मुस्कान आवाजों के इशारे देती है लम्हों कि रोशनी सपना सुनाती रहती है।

किसी कोशिश संग आशाओं कि सोच इरादा दिलाती है दिशाओं कि उमंग अरमानों के अफसाने देती है इरादों कि सौगात सपना सुनाती रहती है।

किसी कोशिश संग आशाओं कि आस दास्तान दिलाती है जज्बातों कि लहर अल्फाजों के रोशनी देती है नजारों कि सुबह सपना सुनाती रहती है।

किसी कोशिश संग आशाओं कि रोशनी खयाल दिलाती है अदाओं कि समझ दास्तानों के एहसास देती है किनारों कि पहचान सपना सुनाती रहती है।

किसी कोशिश संग आशाओं कि सरगम इरादा दिलाती है आवाजों कि सौगात अरमानों के सुबह देती है अदाओं कि लहर सपना सुनाती रहती है।

किसी कोशिश संग आशाओं कि तलाश दास्तान दिलाती है कदमों कि आहट बदलावों के सौगात देती है जज्बातों कि पुकार सपना सुनाती रहती है।

किसी कोशिश संग आशाओं कि राह दिशाएं दिलाती है इशारों कि पहचान अरमानों के लहर देती है एहसासों कि सोच सपना सुनाती रहती है।

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