Thursday, 10 March 2022

कविता. ४३७७. उमंग से आशाओं कि परख।

                                                        उमंग से आशाओं कि परख।

उमंग से आशाओं कि परख पहचान दिलाती है सपनों को नजारों कि आस अफसाना दिलाकर जाती है इशारों को अंदाजों कि सोच सुनाती है।

उमंग से आशाओं कि परख अरमान दिलाती है दिशाओं को इरादों कि तलाश खयाल देकर जाती है अदाओं को लम्हों कि सोच सुनाती है।

उमंग से आशाओं कि परख आवाज दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि उम्मीद अरमान जगाकर जाती है अल्फाजों को राहों कि सोच सुनाती है।

उमंग से आशाओं कि परख कोशिश दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात रोशनी दिलाकर जाती है नजारों को एहसासों कि सोच सुनाती है।

उमंग से आशाओं कि परख नजारा दिलाती है अदाओं को लम्हों कि पहचान पुकार देकर जाती है अरमानों को खयालों कि सोच सुनाती है।

उमंग से आशाओं कि परख मुस्कान दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि सुबह एहसास जगाकर जाती है राहों को किनारों कि सोच सुनाती है।

उमंग से आशाओं कि परख सरगम दिलाती है आवाजों को कदमों कि आहट इशारा दिलाकर जाती है तरानों को उम्मीदों कि सोच सुनाती है।

उमंग से आशाओं कि परख तराना दिलाती है राहों को किनारों कि सौगात सरगम जगाकर जाती है कोशिश को जज्बातों कि सोच सुनाती है।

उमंग से आशाओं कि परख आस दिलाती है तरानों को उम्मीदों कि सुबह अल्फाज देकर जाती है अदाओं को लम्हों कि सोच सुनाती है।

उमंग से आशाओं कि परख जज्बात दिलाती है अंदाजों को राहों कि तलाश सहारा दिलाकर जाती है उम्मीदों को आवाजों कि सोच सुनाती है।

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