Wednesday 23 March 2022

कविता. ४३९०. कदमों को दास्तानों कि।

                              ‌‌‌       ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌                    कदमों को दास्तानों कि।

कदमों को दास्तानों कि सुबह एहसास सुनाती है आशाओं को अदाओं कि समझ पहचान दिलाती है आवाजों से धून कि लहर सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि सोच कोशिश सुनाती है अंदाजों को खयालों कि उम्मीद अल्फाज दिलाती है नजारों से अफसानों कि लहर सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि परख आस सुनाती है दिशाओं को उजालों कि सोच बदलाव दिलाती है जज्बातों से तरानों कि लहर सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि कोशिश सौगात सुनाती है किनारों को लम्हों कि रोशनी खयाल दिलाती है बदलावों से जज्बातों कि लहर सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि पुकार अल्फाज सुनाती है आवाजों को बदलावों कि उमंग अरमान दिलाती है सपनों से अदाओं कि लहर सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि पहचान मुस्कान सुनाती है तरानों को अंदाजों कि राह आस दिलाती है आशाओं से दिशाओं कि लहर सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि सोच एहसास सुनाती है नजारों को अदाओं कि समझ किनारा दिलाती है आवाजों से इशारों कि लहर सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि सौगात राह सुनाती है उजालों को अल्फाजों कि सरगम नजारा दिलाती है बदलावों से आशाओं कि लहर सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि परख सोच सुनाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है इशारों से अंदाजों कि लहर सुनाती है।

कदमों को दास्तानों कि रोशनी खयाल सुनाती है अंदाजों को किनारों कि सुबह एहसास दिलाती है इरादों से उम्मीदों कि लहर सुनाती है।

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