Sunday, 27 March 2022

कविता. ४३९४. रोशनी संग आशाओं कि सरगम।

                                           रोशनी संग आशाओं कि सरगम।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम अरमान जगाती है तरानों को अंदाजों कि लहर दास्तान सुनाती है उजालों से मिलकर इशारा दिलाता है।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम कोशिश जगाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून एहसास सुनाती है राहों से जुड़कर अफसाना दिलाता है।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम मुस्कान जगाती है दास्तानों को बदलावों कि उमंग अरमान सुनाती है दिशाओं से समझकर नजारा दिलाता है।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम तलाश जगाती है खयालों को नजारों कि सुबह कोशिश सुनाती है जज्बातों से मिलकर पुकार दिलाता है।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम सुबह जगाती है कदमों को अरमानों कि धाराएं अंदाज सुनाती है नजारों से जुड़कर पहचान दिलाता है।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम परख जगाती है किनारों को दिशाओं कि उमंग बदलाव सुनाती है अदाओं से समझकर आस दिलाता है।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम किनारा जगाती है खयालों को सपनों कि आहट कोशिश सुनाती है उम्मीदों से मिलकर आवाज दिलाता है।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम तराना जगाती है अंदाजों को इरादों कि तलाश एहसास सुनाती है उमंग से जुड़कर कोशिश दिलाता है।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम उम्मीद जगाती है राहों को अरमानों कि सुबह बदलाव सुनाती है लम्हों से समझकर सहारा दिलाता है।

रोशनी संग आशाओं कि सरगम मुस्कान जगाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच इरादा सुनाती है तरानों से मिलकर सौगात दिलाता है।

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