Thursday, 17 March 2022

कविता. ४३८४. रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर।

                                            रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर तलाश सुनाती है नजारों से अफसानों कि सौगात किनारा दिलाती है राहों कि सरगम देती है।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर पुकार सुनाती है लम्हों से किनारों कि सुबह एहसास दिलाती है आवाजों कि सरगम देती है।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर पहचान सुनाती है दास्तानों से खयालों कि उम्मीद कोशिश दिलाती है लहरों कि सरगम देती है।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर जज्बात सुनाती है राहों से दिशाओं कि पहचान तराना दिलाती है सपनों कि सरगम देती है।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर इशारा सुनाती है जज्बातों से अंदाजों कि सोच सहारा दिलाती है कदमों कि सरगम देती है।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर समझ सुनाती है कदमों से अल्फाजों कि आस सौगात दिलाती है बदलावों कि सरगम देती है।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर लम्हा सुनाती है अदाओं से एहसासों कि तलाश खयाल दिलाती है जज्बातों कि सरगम देती है।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर लहर सुनाती है अंदाजों से तरानों कि राह उजाला दिलाती है सपनों कि सरगम देती है।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर कोशिश सुनाती है किनारों कि सुबह पहचान दिलाती है कदमों कि सरगम देती है।

रोशनी संग आशाओं कि मुस्कान अक्सर अल्फाज सुनाती है आवाजों कि धून अहमियत दिलाती है अरमानों कि सरगम देती है।

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