Tuesday 15 March 2022

कविता. ४३८२. जज्बातों कि लहर संग।

                                                         जज्बातों कि लहर संग।

जज्बातों कि लहर संग एहसासों कि आहट पहचान सुनाती है राहों को अरमानों कि रोशनी खयाल दिलाकर आगे बढती है।

जज्बातों कि लहर संग आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह कोशिश सुनाकर आगे बढती है।

जज्बातों कि लहर संग आशाओं कि परख पुकार सुनाती है तरानों को अंदाजों कि उम्मीद आवाज दिलाकर आगे बढती है।

जज्बातों कि लहर संग अंदाजों कि तलाश एहसास दिलाती है लम्हों को कदमों कि सरगम सोच सुनाकर आगे बढती है।

जज्बातों कि लहर संग खयालों कि समझ सपना सुनाती है आवाजों को बदलावों कि सोच दास्तान दिलाकर आगे बढती है।

जज्बातों कि लहर संग नजारों कि उम्मीद तलाश दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि आस पहचान सुनाकर आगे बढती है।

जज्बातों कि लहर संग तरानों कि पुकार अल्फाज दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि कोशिश सरगम दिलाकर आगे बढती है।

जज्बातों कि लहर संग दास्तानों कि सुबह सरगम दिलाती है आशाओं को अदाओं कि समझ सौगात सुनाकर आगे बढती है।

जज्बातों कि लहर संग लम्हों कि सौगात सहारा दिलाती है अंदाजों को किनारों कि सुबह नजारा दिलाकर आगे बढती है।

जज्बातों कि लहर संग किनारों कि उमंग अरमान दिलाती है सपनों को अल्फाजों कि सोच एहसास सुनाकर आगे बढती है।


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