Sunday 20 March 2022

कविता. ४३८७. राह को सपनों कि सरगम।

                                                   राह को सपनों कि सरगम।

राह को सपनों कि सरगम मुस्कान दिलाती है कदमों कि आहट अक्सर अफसानों कि सौगात देकर जाती है लम्हों को किनारों कि सुबह दिलाती है।

राह को सपनों कि सरगम कोशिश दिलाती है नजारों कि सोच अक्सर कदमों कि रोशनी देकर जाती है लहरों को दिशाओं कि सुबह दिलाती है।

राह को सपनों कि सरगम आवाज दिलाती है जज्बातों कि पुकार अक्सर तरानों कि परख देकर जाती है खयालों को कदमों कि सुबह दिलाती है।

राह को सपनों कि सरगम आस दिलाती है किनारों कि पहचान अक्सर अल्फाजों कि सोच देकर जाती है अदाओं को लम्हों कि सुबह दिलाती है।

राह को सपनों कि सरगम कदम दिलाती है खयालों कि उम्मीद अक्सर लहरों कि पुकार देकर जाती है अंदाजों को आशाओं कि सुबह दिलाती है।

राह को सपनों कि सरगम तलाश दिलाती है लहरों कि परख अक्सर आवाजों कि सौगात देकर जाती है जज्बातों को तरानों कि सुबह दिलाती है।

राह को सपनों कि सरगम अरमान दिलाती है अल्फाजों कि आस अक्सर एहसासों कि रोशनी देकर जाती है आशाओं को अदाओं कि सुबह दिलाती है।

राह को सपनों कि सरगम तराना दिलाती है नजारों कि तलाश अक्सर अंदाजों कि मुस्कान देकर जाती है दास्तानों को बदलावों कि सुबह दिलाती है।

राह को सपनों कि सरगम सोच दिलाती है दिशाओं कि उमंग अक्सर अफसानों कि सोच देकर जाती है दिशाओं को नजारों कि सुबह दिलाती है।

राह को सपनों कि सरगम पहचान दिलाती है रोशनी कि पुकार अक्सर आशाओं कि समझ देकर जाती है कदमों को आवाजों कि सुबह दिलाती है।

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