Wednesday 2 March 2022

कविता. ४३६९. किनारों से अरमान कि।

                                                       किनारों से अरमान कि।

किनारों से अरमान कि सोच एहसास दिलाती है उम्मीदों को रोशनी कि पुकार अल्फाज देती है नजारों को आवाजों कि तलाश आस सुनाती है।

किनारों से अरमान कि सुबह सपना दिलाती है आशाओं को अदाओं कि सोच इरादा देती है कदमों को दास्तानों कि सरगम कोशिश सुनाती है।

किनारों से अरमान कि परख कोशिश दिलाती है लहरों को राहों कि तलाश अरमान देती है अंदाजों को एहसासों कि लहर जज्बात सुनाती है।

किनारों से अरमान कि पुकार अल्फाज दिलाती है उजालों को अल्फाजों कि सौगात आस देती है दिशाओं को लम्हों कि पहचान मुस्कान सुनाती है।

किनारों से अरमान कि उमंग आस दिलाती है अल्फाजों को आवाजों कि धून बदलाव देती है एहसासों को राहों कि समझ रोशनी सुनाती है।

किनारों से अरमान कि सौगात खयाल दिलाती है दिशाओं को सपनों कि पुकार सोच देती है नजारों को एहसासों कि लहर अहमियत सुनाती है।

किनारों से अरमान कि पुकार जज्बात दिलाती है नजारों को एहसासों कि राह खयाल देती है इशारों को अंदाजों कि उम्मीद आवाज सुनाती है।

किनारों से अरमान कि रोशनी आस दिलाती है सपनों को अफसानों कि परख पहचान देती है उजालों को अल्फाजों कि मुस्कान राह सुनाती है‌।

किनारों से अरमान कि समझ इशारा दिलाती है अदाओं को सपनों कि पुकार बदलाव देती है इशारों को दास्तानों कि सुबह समझ सुनाती है।

किनारों से अरमान कि पहचान सरगम दिलाती है नजारों को कदमों कि आहट अफसाना देती है सपनों को अदाओं कि पुकार बदलाव सुनाती है।




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