Wednesday 9 March 2022

कविता. ४३७६. मुस्कान से सरगम अक्सर।

                                                    मुस्कान से सरगम अक्सर।

मुस्कान से सरगम अक्सर कदमों कि आहट से अफसाना दिलाती है लहरों को आशाओं कि तलाश कोशिश दिलाती है।

मुस्कान से सरगम अक्सर लम्हों कि रोशनी से एहसास दिलाती है सपनों को नजारों कि सुबह अहमियत दिलाती है।

मुस्कान से सरगम अक्सर किनारों कि सुबह से पहचान दिलाती है अदाओं को खयालों कि उम्मीद बदलाव दिलाती है।

मुस्कान से सरगम अक्सर दास्तानों कि सोच से अरमान दिलाती है कदमों को तरानों कि सौगात आवाज दिलाती है।

मुस्कान से सरगम अक्सर दिशाओं कि उमंग से नजारा दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि लहर सपना दिलाती है।

मुस्कान से सरगम अक्सर आशाओं कि मुस्कान से पुकार दिलाती है अरमानों को खयालों कि उमंग पहचान दिलाती है।

मुस्कान से सरगम अक्सर नजारों कि तलाश से सौगात दिलाती है अंदाजों को एहसासों कि कोशिश आस दिलाती है।

मुस्कान से सरगम अक्सर आवाजों कि धून से सुबह दिलाती है नजारों को अफसानों कि रोशनी खयाल दिलाती है।

मुस्कान से सरगम अक्सर लहरों कि पहचान से सोच दिलाती है किनारों को अंदाजों कि उम्मीद आवाज दिलाती है।

मुस्कान से सरगम अक्सर तरानों कि राह से बदलाव दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है।


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