Friday 4 March 2022

कविता. ४३७१. एक सपना सा दिख जाता है।

                                                      एक सपना सा दिख जाता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो राहों को अरमानों कि आशाएं दिलाता है लहरों संग उम्मीदों कि तलाश का एहसास जताता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो मुस्कान को लम्हों कि रोशनी दिलाता है कदमों संग आशाओं कि परख का पहचान जताता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो खयालों को नजारों कि सुबह दिलाता है किनारों संग अंदाजों कि सोच का अफसाना जताता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो जज्बातों को अंदाजों कि पुकार दिलाता है लम्हों संग आवाजों कि धून कि अहमियत जताता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो रोशनी को लहरों कि कोशिश दिलाता है जज्बातों संग दिशाओं कि उमंग का तराना जताता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो आस को आवाजों कि धून दिलाता है इशारों संग खयालों कि उम्मीद का नजारा जताता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो दिशाओं को तरानों कि राह दिलाता है दास्तानों संग अल्फाजों कि आस का अरमान जताता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो आवाजों को कदमों कि आहट दिलाता है उजालों संग अदाओं कि सौगात को सरगम जताता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो अंदाजों को एहसासों कि तलाश दिलाता है नजारों संग इरादों कि तलाश को पुकार जताता है।

एक सपना सा दिख जाता है जो अरमानों को दिशाओं कि उमंग दिलाता है किनारों संग दास्तानों कि सोच का अफसाना जताता है।

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