Monday 14 March 2022

कविता. ४३८१. सपनों संग अरमान कि।

                                                          सपनों संग अरमान कि।

सपनों संग अरमान कि तलाश खयाल दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि सुबह कोशिश दिलाती है नजारों कि सौगात आस देती है।

सपनों संग अरमान कि सोच अफसाना दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात पुकार जताती है अंदाजों कि उम्मीद आस देती है।

सपनों संग अरमान कि उमंग रोशनी दिलाती है लम्हों को कदमों कि आहट एहसास सुनाती है उजालों कि उमंग आस देती है।

सपनों संग अरमान कि सुबह सहारा दिलाती है दिशाओं को किनारों कि उम्मीद आवाज सुनाती है जज्बातों कि पुकार आस देती है।

सपनों संग अरमान कि कोशिश अंदाज दिलाती है राहों को तरानों कि रोशनी अल्फाज दिलाती है लम्हों कि सौगात आस देती है।

सपनों संग अरमान कि राह लम्हा दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि सोच बदलाव जताती है राहों कि सरगम आस देती है।

सपनों संग अरमान कि परख पहचान दिलाती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान रोशनी जताती है दास्तानों कि समझ आस देती है।

सपनों संग अरमान कि उम्मीद उजाला दिलाती है नजारों को एहसासों कि तलाश कोशिश जताती है राहों कि सुबह आस देती है।

सपनों संग अरमान कि राह मुस्कान दिलाती है तरानों को अंदाजों कि उम्मीद आवाज जताती है किनारों कि पहचान आस देती है।

सपनों संग अरमान कि पुकार अल्फाज दिलाती है कदमों को अदाओं कि सौगात इशारा जताती है अदाओं कि मुस्कान आस देती है।

 

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