Monday, 7 March 2022

कविता. ४३७४. राह अक्सर।

                                                             राह अक्सर।

राह अक्सर कदमों कि आहट सुनाती जाती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है अदाओं से एहसास सुनाती है।

राह अक्सर अरमानों कि पुकार सुनाती जाती है तरानों को अंदाजों कि उम्मीद आवाज दिलाती है लहरों से एहसास सुनाती है।

राह अक्सर अफसानों कि सौगात सुनाती जाती है नजारों को रोशनी कि आस अल्फाज दिलाती है किनारों से एहसास सुनाती है।

राह अक्सर जज्बातों कि उम्मीद सुनाती जाती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान रोशनी दिलाती है लम्हों से एहसास सुनाती है।

राह अक्सर आवाजों कि धून सुनाती जाती है अदाओं को तरानों कि पुकार अहमियत दिलाती है दास्तानों से एहसास सुनाती है।

राह अक्सर नजारों कि सुबह सुनाती जाती है उजालों को अल्फाजों कि सोच सरगम दिलाती है दिशाओं से एहसास सुनाती है।

राह अक्सर अंदाजों कि उमंग सुनाती जाती है दास्तानों को बदलावों कि सुबह रोशनी दिलाती है आशाओं से एहसास सुनाती है।

राह अक्सर उम्मीदों कि सौगात सुनाती जाती है आशाओं को लम्हों कि पहचान नजारा दिलाती है सपनों से एहसास सुनाती है।

राह अक्सर किनारों कि अहमियत सुनाती जाती है जज्बातों को तरानों कि परख बदलाव दिलाती है अल्फाजों से एहसास सुनाती है।

राह अक्सर तरानों कि रोशनी सुनाती जाती है अदाओं को खयालों कि उम्मीद तलाश दिलाती है नजारों से एहसास सुनाती है।


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