Wednesday, 15 May 2024

कविता. ५१७३. इशारों को लम्हों की।

                             इशारों को लम्हों की।

इशारों को लम्हों की आहट अक्सर अफसाना सुनाती है लहरों को नजारों संग आस अल्फाज दिलाती है जज्बातों को कदमों की रोशनी दिलाती है।

इशारों को लम्हों की पहचान अक्सर सपना सुनाती है दिशाओं को बदलावों संग कोशिश सरगम दिलाती है किनारों को अंदाजों की रोशनी दिलाती है।

इशारों को लम्हों की सोच अक्सर पुकार सुनाती है अरमानों को सपनों संग आहट तलाश दिलाती है खयालों को आशाओं की रोशनी दिलाती है।

इशारों को लम्हों की समझ अक्सर कोशिश सुनाती है नजारों को दिशाओं संग पहचान सहारा दिलाती है अदाओं को तरानों की रोशनी दिलाती है।

इशारों को लम्हों की उमंग अक्सर परख सुनाती है अंदाजों को सपनों संग सुबह सोच दिलाती है उजालों को एहसासों की रोशनी दिलाती है।

इशारों को लम्हों की उम्मीद अक्सर आहट सुनाती है राहों को अरमानों संग अदा सौगात दिलाती है अदाओं को खयालों की रोशनी दिलाती है।

इशारों को लम्हों की तलाश अक्सर जज्बात सुनाती है अदाओं को अफसानों संग सुबह कोशिश दिलाती है उजालों को सपनों की रोशनी दिलाती है।

इशारों को लम्हों की कहानी अक्सर अंदाज सुनाती है आवाजों को कदमों संग आवाज मुस्कान दिलाती है दास्तानों को उम्मीदों की रोशनी दिलाती है।

इशारों को लम्हों की पहचान अक्सर तराना सुनाती है खयालों को किनारों संग समझ तलाश दिलाती है आशाओं को सपनों की रोशनी दिलाती है।

इशारों को लम्हों की आवाज अक्सर पहचान सुनाती है दास्तानों को अदाओं संग आस परख दिलाती है नजारों को राहों की रोशनी दिलाती है।

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