Sunday 5 May 2024

कविता. ५१६३. कदमों की सोच संग।

                              कदमों की सोच संग।

कदमों की सोच संग आशाओं की मुस्कान सुनाती है अदाओं को दिशाओं की कहानी पहचान दिलाती है दास्तानों को अंदाजों की परख दिलाती है।

कदमों की सोच संग इरादों की कहानी सुनाती है नजारों को आशाओं की तलाश बदलाव दिलाती है लहरों को इशारों की परख दिलाती है।

कदमों की सोच संग किनारों की पुकार सुनाती है राहों को सपनों की आस अल्फाज दिलाती है लम्हों को अरमानों की परख दिलाती है।

कदमों की सोच संग एहसासों की सरगम सुनाती है इरादों को उम्मीदों की सौगात उमंग दिलाती है जज्बातों को राहों की परख दिलाती है।

कदमों की सोच संग खयालों की आस सुनाती है अरमानों को दिशाओं की कोशिश उम्मीद दिलाती है तरानों को उजालों की परख दिलाती है।

कदमों की सोच संग अरमानों की पहचान सुनाती है लम्हों को खयालों की समझ सहारा दिलाती है अंदाजों को अफसानों की परख दिलाती है।

कदमों की सोच संग दिशाओं की कोशिश सुनाती है अंदाजों को बदलावों की सौगात आस दिलाती है किनारों को सपनों की परख दिलाती है।

कदमों की सोच संग आवाजों की धून सुनाती है तरानों को  किनारों की पुकार अहमियत दिलाती है आशाओं को बदलावों की परख दिलाती है।

कदमों की सोच संग लहरों की आहट सुनाती है अरमानों को दिशाओं की कहानी एहसास दिलाती है सपनों को अल्फाजों की परख दिलाती है।

कदमों की सोच संग बदलावों की पुकार सुनाती है आशाओं को किनारों की सरगम दास्तान दिलाती है उजालों को खयालों की परख दिलाती है।

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कविता. ५१७६. अरमानों को दिशाओं की।

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