Tuesday, 7 May 2024

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की।

उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है दास्तानों को एहसासों की कहानी मुस्कान देकर जाती है।

उम्मीदों को किनारों की सोच अफसाना देती है आशाओं को बदलावों की आस अल्फाज दिलाती है तरानों को अरमानों की पहचान मुस्कान देकर जाती है।

उम्मीदों को किनारों की आस तलाश देती है अदाओं को सपनों की सुबह एहसास दिलाती है नजारों को दिशाओं की कोशिश मुस्कान देकर जाती है।

उम्मीदों को किनारों की समझ इशारा देती है खयालों को अंदाजों की परख आहट दिलाती है जज्बातों को कदमों की आहट मुस्कान देकर जाती है।

उम्मीदों को किनारों की रोशनी नजारा देती है राहों को सपनों की अहमियत उमंग दिलाती है अल्फाजों को किनारों की पुकार मुस्कान देकर जाती है।

उम्मीदों को किनारों की आवाज धून देती है लहरों को इशारों की कहानी सरगम दिलाती है दास्तानों को एहसासों की रोशनी मुस्कान देकर जाती है।

उम्मीदों को किनारों की उमंग अंदाज देती है नजारों को दिशाओं की समझ कोशिश दिलाती है लम्हों को खयालों की अदा मुस्कान देकर जाती है।

उम्मीदों को किनारों की परख खयाल देती है इशारों को सपनों की सुबह अल्फाज दिलाती है बदलावों को राहों की आस मुस्कान देकर जाती है।

उम्मीदों को किनारों की पुकार दास्तान देती है अंदाजों को लम्हों की कोशिश सुबह दिलाती है नजारों को दिशाओं की सौगात मुस्कान देकर जाती है।

उम्मीदों को किनारों की पहचान जज्बात देती है अरमानों को सपनों की आस दास्तान दिलाती है तरानों को आवाजों की पुकार मुस्कान देकर जाती है।

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