Friday, 17 May 2024

कविता. ५१७५. किनारों को अल्फाजों की।

                              किनारों को अल्फाजों की।

किनारों को अल्फाजों की आस खयाल दिलाती है लहरों को नजारों संग आशाओं की पहचान उमंग देकर जाती है जज्बातों से आवाजों की धून दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की राह सपना दिलाती है खयालों को अंदाजों संग दिशाओं की कहानी तलाश देकर जाती है राहों से दास्तानों की धून दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की रोशनी कोशिश दिलाती है अरमानों को इरादों संग अदाओं की पुकार लहर देकर जाती है लम्हों से बदलावों की धून दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की अदा इशारा दिलाती है धाराओं को अफसानों संग कदमों की आहट अरमान देकर जाती है तरानों से सपनों की धून दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की सौगात एहसास दिलाती है कदमों को तरानों संग उजालों की परख समझ देकर जाती है अरमानों से आशाओं की धून दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की समझ उजाला दिलाती है अंदाजों को उम्मीदों की कहानी सरगम देकर जाती है एहसासों से कदमों की धून दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की मुस्कान सहारा दिलाती है राहों को अरमानों संग दिशाओं की आवाज तराना देकर जाती है उजालों से लहरों की धून दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की सोच उम्मीद दिलाती है उम्मीदों को खयालों संग अदाओं की पुकार पहचान देकर जाती है इरादों से अंदाजों की धून दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की कोशिश तलाश दिलाती है एहसासों को आशाओं संग तरानों की आस खयाल देकर जाती है राहों से कदमों की धून दिलाती है।

किनारों को अल्फाजों की रोशनी दास्तान दिलाती है अफसानों को सपनों संग लहरों की सुबह परख देकर जाती है दिशाओं से अदाओं की धून दिलाती है।


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