Wednesday 1 May 2024

कविता. ५१५९. किनारों को सपनों की।

                              किनारों को सपनों की।

किनारों को सपनों की आहट तलाश दिलाती है नजारों को दिशाओं की कोशिश संग अरमानों की पहचान देकर जाती है राहों की सुबह दिलाती है।

किनारों को सपनों की पुकार अरमान दिलाती है जज्बातों को कदमों की सोच संग आवाजों की कोशिश देकर जाती है दास्तानों की सुबह दिलाती है।

किनारों को सपनों की रोशनी अंदाज दिलाती है लहरों को इशारों की समझ संग उजालों की परख देकर जाती है अफसानों की सुबह दिलाती है।

किनारों को सपनों की आस अल्फाज दिलाती है बदलावों को अदाओं की पुकार संग इशारों की कहानी देकर जाती है उम्मीदों की सुबह दिलाती है।

किनारों को सपनों की सोच अफसाना दिलाती है तरानों को लहरों की मुस्कान संग खयालों की सरगम देकर जाती है अल्फाजों की सुबह दिलाती है।

किनारों को सपनों की राह पुकार दिलाती है अरमानों को अंदाजों की रोशनी संग आशाओं की आस देकर जाती है नजारों की सुबह दिलाती है।

किनारों को सपनों की उमंग पहचान दिलाती है खयालों को उम्मीदों की कहानी संग दास्तानों की रोशनी देकर जाती है अरमानों की सुबह दिलाती है।

किनारों को सपनों की सौगात लम्हा दिलाती है आवाजों को दास्तानों की परख संग जज्बातों की कहानी देकर जाती है अंदाजों की सुबह दिलाती है।

किनारों को सपनों की कोशिश राह दिलाती है एहसासों को इशारों की उम्मीद संग कदमों की सोच देकर जाती है उजालों की सुबह दिलाती है।

किनारों को सपनों की समझ सरगम दिलाती है इरादों को तरानों की आहट संग अफसानों की राह देकर जाती है दिशाओं की सुबह दिलाती है।


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