Tuesday 30 April 2024

कविता. ५१५८. खयालों को मुस्कान अक्सर।

                             खयालों की मुस्कान अक्सर।

खयालों की मुस्कान अक्सर आस देकर चलती है इशारों को दास्तानों की परख अंदाज दिलाती है अरमानों को दिशाओं की कोशिश पहचान देकर जाती है।

खयालों की मुस्कान अक्सर उमंग देकर चलती है आशाओं को किनारों की पुकार अफसाना दिलाती है राहों को अरमानों की सुबह पहचान देकर जाती है।

खयालों की मुस्कान अक्सर कोशिश देकर चलती है कदमों को उजालों की सरगम आहट दिलाती है इशारों को लम्हों की कहानी पहचान देकर जाती है।

खयालों की मुस्कान अक्सर दास्तान देकर चलती है राहों को बदलावों की सौगात तलाश दिलाती है तरानों को उम्मीदों की रोशनी पहचान देकर जाती है।

खयालों की मुस्कान अक्सर सोच देकर चलती है जज्बातों को सपनों की आस बदलाव दिलाती है लहरों को एहसासों की आवाज पहचान देकर जाती है।

खयालों की मुस्कान अक्सर तराना देकर चलती है दास्तानों को अदाओं की कोशिश सहारा दिलाती है नजारों को दिशाओं की समझ पहचान देकर जाती है।

खयालों की मुस्कान अक्सर अंदाज देकर चलती है लहरों को नजारों की उम्मीद अहमियत दिलाती है अंदाजों को इरादों की आहट पहचान देकर जाती है।

खयालों की मुस्कान अक्सर आवाज देकर चलती है तरानों को अरमानों की आहट पुकार दिलाती है अल्फाजों को राहों की सौगात पहचान देकर जाती है।

खयालों की मुस्कान अक्सर रोशनी देकर जाती है अफसानों को सपनों की सोच तलाश दिलाती है उजालों को किनारों की पुकार पहचान देकर जाती है।

खयालों की मुस्कान अक्सर अल्फाज‌ देकर जाती है नजारों को आवाजों की धून लहर दिलाती है कदमों को एहसासों की उम्मीद पहचान देकर जाती है।

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