Saturday 13 April 2024

कविता. ५१४१. किनारों को सपनों की।

                               किनारों को सपनों की।

किनारों को सपनों की आस अल्फाज दिलाती है लहरों को इशारों की कहानी पहचान देकर जाती है अफसानों से दिशाओं की सरगम दिलाती है।

किनारों को सपनों की समझ रोशनी दिलाती है कदमों को अदाओं की कोशिश अहमियत देकर जाती है आशाओं से राहों की सरगम दिलाती है।

किनारों को सपनों की अदा दास्तान दिलाती है बदलावों को लम्हों की सुबह आवाज देकर जाती है उजालों से खयालों की सरगम दिलाती है।

किनारों को सपनों की उमंग तराना दिलाती है अंदाजों को बदलावों की राह कोशिश देकर जाती है कदमों से धाराओं की सरगम दिलाती है।

किनारों को सपनों की आवाज नजारा दिलाती है दिशाओं को दास्तानों की मुस्कान अरमान देकर जाती है अल्फाजों से नजारों की सरगम दिलाती है।

किनारों को सपनों की राह खयाल दिलाती है अदाओं को दिशाओं की समझ सौगात देकर जाती है अरमानों से आवाजों की सरगम दिलाती है।

किनारों को सपनों की अंदाज सुबह दिलाती है तरानों को उम्मीदों की आहट दास्तान देकर जाती है राहों से आशाओं की सरगम दिलाती है।

किनारों को सपनों की सौगात उम्मीद दिलाती है नजारों को खयालों की समझ सोच देकर जाती है इशारों से लहरों की सरगम दिलाती है।

किनारों को सपनों की परख बदलाव दिलाती है राहों को अरमानों की पुकार सहारा देकर जाती है लम्हों से दास्तानों की सरगम दिलाती है।

किनारों को सपनों की कोशिश लहर दिलाती है धाराओं को अफसानों की सोच आस देकर जाती है जज्बातों से खयालों की सरगम दिलाती है।

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                             खयालों की मुस्कान अक्सर। खयालों की मुस्कान अक्सर आस देकर चलती है इशारों को दास्तानों की परख अंदाज दिलाती है अरम...