Friday 12 April 2024

कविता. ५१४०. खयाल संग आशाओं की।

                            खयाल संग आशाओं की।

खयाल संग आशाओं की मुस्कान सहारा देती है किनारों को तरानों की सुबह अरमान चुपके से सुनाती है अफसानों को सपनों की रोशनी दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की कोशिश कहानी देती है नजारों को दिशाओं की परख पहचान चुपके से सुनाती है आवाजों को राहों की रोशनी दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की उमंग जज्बात देती है तरानों को अरमानों की आहट अल्फाज चुपके से सुनाती है अदाओं को दास्तानों की रोशनी दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की सरगम सपना देती है आवाजों को अदाओं की पुकार आस चुपके से सुनाती है अंदाजों को बदलावों की रोशनी दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की सोच तलाश देती है अल्फाजों को नजारों की सोच अफसाना चुपके से सुनाती है अरमानों को जज्बातों की रोशनी दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की उम्मीद लहर देती है लम्हों को इशारों की आस अंदाज चुपके से सुनाती है उजालों को एहसासों की रोशनी दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की आस आवाज देती है अरमानों को लहरों की कहानी समझ चुपके से सुनाती है इरादों को उम्मीदों की रोशनी दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की सौगात उम्मीद देती है इशारों को कदमों की राह आवाज चुपके से सुनाती है दिशाओं को जज्बातों की रोशनी दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की आहट पहचान देती है लहरों को एहसासों की सौगात लहर चुपके से सुनाती है नजारों को राहों की रोशनी दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की सोच पुकार देती है अफसानों को सपनों की आस दास्तान चुपके से सुनाती है आवाजों को अदाओं की रोशनी दिलाती है।

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