Monday 22 April 2024

कविता. ५१५०. अफसानों की समझ अक्सर।

                           अफसानों की समझ अक्सर।

अफसानों की समझ अक्सर आवाज दिलाती है तरानों को कदमों की आहट परख दिलाती है दास्तानों को एहसासों की कहानी सुनाती है।

अफसानों की समझ अक्सर खयाल दिलाती है लहरों को इशारों की कोशिश आस दिलाती है लम्हों को अरमानों की कहानी सुनाती है।

अफसानों की समझ अक्सर अंदाज दिलाती है सपनों को राहों की मुस्कान पहचान दिलाती है उजालों को जज्बातों की कहानी सुनाती है।

अफसानों की समझ अक्सर किनारा दिलाती है नजारों को दिशाओं की सोच पुकार दिलाती है अल्फाजों को आशाओं की कहानी सुनाती है।

अफसानों की समझ अक्सर उमंग दिलाती है खयालों को इशारों की सुबह खयाल दिलाती है किनारों को सपनों की कहानी सुनाती है।

अफसानों की समझ अक्सर रोशनी दिलाती है अंदाजों को अल्फाजों की मुस्कान उमंग दिलाती है खयालों को आवाजों की कहानी सुनाती है।

अफसानों की समझ अक्सर दास्तान दिलाती है इरादों को जज्बातों की सौगात तलाश दिलाती है बदलावों को राहों की कहानी सुनाती है।

अफसानों की समझ अक्सर कोशिश दिलाती है अंदाजों को इरादों की आस अंदाज दिलाती है अरमानों को नजारों की कहानी सुनाती है।

अफसानों की समझ अक्सर आस दिलाती है आशाओं को अदाओं की सोच इरादा दिलाती है उम्मीदों को कदमों की कहानी सुनाती है।

अफसानों की समझ अक्सर सरगम दिलाती है लहरों को इशारों की पहचान सहारा दिलाती है दास्तानों को आशाओं की कहानी सुनाती है।

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कविता. ५१६०. आवाज को दिशाओं की।

                              आवाज को दिशाओं की। आवाज को दिशाओं की उमंग अफसाना दिलाती है लम्हों को खयालों की मुस्कान कोशिश दिलाती है दास्तान...