Thursday 11 April 2024

कविता. ५१३९. इशारों को दास्तानों की।

                               इशारों को दास्तानों की।

इशारों को दास्तानों की परख अल्फाज सुनाती है तरानों को उम्मीदों की कहानी सौगात दिलाती है दिशाओं को कदमों की सोच अफसाना दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की आहट एहसास सुनाती है नजारों को खयालों की कोशिश उमंग दिलाती है लहरों को राहों की मुस्कान अफसाना दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की समझ तलाश सुनाती है उजालों को सपनों की सुबह पहचान दिलाती है बदलावों को लम्हों की आहट अफसाना दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की सोच तराना सुनाती है जज्बातों को अंदाजों की आस एहसास दिलाती है खयालों को किनारों की परख अफसाना दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की उम्मीद सहारा सुनाती है आशाओं को दिशाओं की कोशिश सुबह दिलाती है राहों को आवाजों की कहानी अफसाना दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की उमंग समझ सुनाती है राहों को सपनों की अहमियत तराना दिलाती है अल्फाजों को एहसासों की आस अफसाना दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की कहानी पहचान सुनाती है अदाओं को लहरों की आवाज परख दिलाती है अंदाजों को इरादों की अरमान अफसाना दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की पुकार सरगम सुनाती है नजारों को अल्फाजों की अदा लहर दिलाती है आशाओं को लम्हों की सुबह अफसाना दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की सोच आवाज सुनाती है किनारों को सपनों की आस कोशिश दिलाती है अरमानों को दिशाओं की सोच अफसाना दिलाती है।

इशारों को दास्तानों की अदा तलाश सुनाती है अल्फाजों को राहों की मुस्कान किनारा दिलाती है अंदाजों को बदलावों की पुकार अफसाना दिलाती है।

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