Sunday 7 April 2024

कविता. ५१३५. मुस्कान अलग एहसास संग।

                          मुस्कान अलग एहसास संग।

मुस्कान अलग एहसास संग आशाओं की सरगम सुनाती है तरानों को सपनों की आहट आस सुहानी देकर जाती है जज्बातों की पुकार दिलाती है।

मुस्कान अलग एहसास संग अंदाजों की परख सुनाती है नजारों को दिशाओं की कहानी कोशिश सुहानी देकर जाती है अरमानों की पुकार दिलाती है।

मुस्कान अलग एहसास संग नजारों की कहानी सुनाती है लम्हों को खयालों की समझ सहारा सुहानी देकर जाती है अल्फाजों की पुकार दिलाती है।

मुस्कान अलग एहसास संग राहों की अफसाना सुनाती है लहरों को इशारों की सौगात दास्तान सुहानी देकर जाती है उजालों की पुकार दिलाती है।

मुस्कान अलग एहसास संग अदाओं की आस सुनाती है इरादों को उम्मीदों की तलाश आस सुहानी देकर जाती है आशाओं की पुकार दिलाती है।

मुस्कान अलग एहसास संग दिशाओं की उमंग सुनाती है अरमानों को सपनों की सुबह कोशिश सुहानी देकर जाती है कदमों की पुकार दिलाती है।

मुस्कान अलग एहसास संग आवाजों की धून सुनाती है किनारों को अंदाजों की परख पहचान सुहानी देकर जाती है आवाजों की पुकार दिलाती है।

मुस्कान अलग एहसास संग जज्बातों की सौगात सुनाती है तरानों को उजालों की सोच नजारा सुहानी देकर जाती है अदाओं की पुकार दिलाती है।

मुस्कान अलग एहसास संग राहों की उमंग सुनाती है अरमानों को दिशाओं की समझ सौगात सुहानी देकर जाती है उजालों की पुकार दिलाती है।

मुस्कान अलग एहसास संग रोशनी की पहचान सुनाती है दास्तानों को अदाओं की उम्मीद लहर सुहानी देकर जाती है अरमानों की पुकार दिलाती है।

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