Tuesday 2 April 2024

कविता. ५१३०. खयालों को इशारों की।

                             खयालों को इशारों की।

खयालों को इशारों की समझ कहानी दिलाती है दास्तानों से आवाजों की धून कोशिश सुनाती है लम्हों को सपनों की आहट अल्फाज दिलाती है।

खयालों को इशारों की सोच अरमान दिलाती है तरानों से दिशाओं की पहचान परख सुनाती है लहरों को नजारों की सोच अल्फाज दिलाती है।

खयालों को इशारों की आस सरगम दिलाती है कदमों से धाराओं की समझ सोच सुनाती है किनारों को राहों की परख अल्फाज दिलाती है।

खयालों को इशारों की सुबह तलाश दिलाती है उजालों से आशाओं की मुस्कान अरमान सुनाती है अदाओं को एहसासों की आस अल्फाज दिलाती है।

खयालों को इशारों की उमंग लहर दिलाती है एहसासों से उम्मीदों की सरगम इरादा सुनाती है आवाजों को बदलावों की मुस्कान अल्फाज दिलाती है।

खयालों को इशारों की राह आवाज दिलाती है आशाओं से कदमों की सोच कोशिश सुनाती है जज्बातों को दिशाओं की पहचान अल्फाज दिलाती है।

खयालों को इशारों की पुकार आस दिलाती है अफसानों से धाराओं की समझ आहट सुनाती है किनारों को सपनों की समझ अल्फाज दिलाती है।

खयालों को इशारों की रोशनी नजारा दिलाती अंदाजों से आवाजों की धून अफसाना सुनाती है कदमों को उजालों की आस अल्फाज दिलाती है।

खयालों को इशारों की तलाश अदा दिलाती है लहरों से कदमों की सौगात बदलाव सुनाती है एहसासों को आशाओं की मुस्कान अल्फाज दिलाती है।

खयालों को इशारों की उम्मीद पहचान दिलाती है किनारों को सपनों की सुबह तलाश सुनाती है अफसानों को राहों की सरगम अल्फाज दिलाती है।

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