Wednesday, 12 February 2025

कविता. ५४१६. नजारों की सरगम।

                            नजारों की सरगम।

नजारों संग सरगम आशाओं की पुकार दिलाती है लहरों को खयालों की समझ जज्बात सुनाती है कदमों की आहट देकर जाती है।

नजारों संग सरगम आवाजों की धून दिलाती है उजालों को किनारों की सुबह आस सुनाती है तरानों की आहट देकर जाती है।

नजारों संग सरगम इरादों की सोच दिलाती है अंदाजों को राहों की अहमियत पुकार सुनाती है अदाओं की आहट देकर जाती है।

नजारों संग सरगम दास्तानों की समझ दिलाती है दिशाओं को कदमों की सोच इरादा सुनाती है सपनों की आहट देकर जाती है।

नजारों संग सरगम किनारों की आस दिलाती है इशारों को जज्बातों की मुस्कान अरमान सुनाती है एहसासों की आहट देकर जाती है।

नजारों संग सरगम दिशाओं की कोशिश दिलाती है उम्मीदों को लहरों की पहचान तराना सुनाती है खयालों की आहट देकर जाती है।

नजारों संग सरगम अफसानों की रोशनी दिलाती है इरादों को अंदाजों की पुकार बदलाव सुनाती है आवाजों की आहट देकर जाती है।

नजारों संग सरगम लम्हों की समझ‌ दिलाती है लम्हों को अरमानों की सौगात तलाश सुनाती है जज्बातों की आहट देकर जाती है।

नजारों संग सरगम लहरों की सोच दिलाती है इशारों को बदलावों की सोच अफसाना सुनाती है राहों की आहट देकर जाती है।

नजारों संग सरगम अल्फाजों की रोशनी दिलाती है उम्मीदों को इरादों की पहचान सहारा सुनाती है दिशाओं की आहट देकर जाती है।

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