Monday, 3 February 2025

कविता. ५४०७. खयाल संग आशाओं की।

                           खयाल संग आशाओं की।

खयाल संग आशाओं की कोशिश तलाश दिलाती है तरानों से आवाजों की धून अफसाना सुनाती है अंदाजों की पुकार दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की सरगम सुबह दिलाती है लहरों से उजालों की रोशनी बदलाव सुनाती है दिशाओं की पुकार दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की उमंग दास्तान दिलाती है लम्हों से नजारों की आस अहमियत सुनाती है राहों की पुकार दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की सौगात मुस्कान दिलाती है अरमानों से सपनों की आहट अरमान सुनाती है इरादों की पुकार दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की लहर पहचान दिलाती है उम्मीदों से जज्बातों की सोच इशारा सुनाती है एहसासों की पुकार दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की राह किनारा दिलाती है बदलावों से सपनों की उमंग उजाला सुनाती है आवाजों की पुकार दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की जज्बात कोशिश दिलाती है अदाओं से दास्तानों की सरगम तलाश सुनाती है कदमों की पुकार दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की उम्मीद तराना दिलाती है किनारों से अल्फाजों की दुनिया पहचान सुनाती है इशारों की पुकार दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की पहचान इरादा दिलाती है लम्हों से कदमों की सौगात जज्बात सुनाती है उम्मीदों की पुकार दिलाती है।

खयाल संग आशाओं की परख अरमान दिलाती है दास्तानों से सपनों की आहट बदलाव सुनाती है लहरों की पुकार दिलाती है।


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कविता. ५४७८. एक कोशिश अक्सर।

                       एक कोशिश अक्सर। एक कोशिश अक्सर एहसास सुनाती है खयालों संग नजारों की आस अरमान जगाती है किनारों को कदमों की सौगात दिलात...