Sunday, 23 February 2025

कविता. ५४२७. खयालों को सपनों की।

                          खयालों को सपनों की।

खयालों को सपनों की पहचान इशारा देती है लहरों को आवाजों की धून अफसाना देती है तरानों को बदलावों की धारा देती है।

खयालों को सपनों की आवाज कोशिश देती है लम्हों को किनारों की सुबह सरगम देती है कदमों को अरमानों की धारा देती है।

खयालों को सपनों की सोच जज्बात देती है आशाओं को दास्तानों की सौगात तलाश देती है अंदाजों को नजारों की धारा देती है।

खयालों को सपनों की पुकार अल्फाज देती है किनारों को उजालों की उमंग अरमान देती है दिशाओं को अदाओं की धारा देती है।

खयालों को सपनों की उम्मीद सोच देती है अफसानों को इरादों की आस नजारा देती है लम्हों को अल्फाजों की धारा देती है।

खयालों को सपनों की उमंग तराना देती है धाराओं को आवाजों की धून जज्बात देती है इरादों को लहरों की धारा देती है।

खयालों को सपनों की आहट इशारा देती है अंदाजों को नजारों की तलाश पहचान देती है कदमों को दास्तानों की धारा देती है।

खयालों को सपनों की सौगात मुस्कान देती है किनारों को कदमों की अहमियत इरादा देती है आशाओं को एहसासों की धारा देती है।

खयालों को सपनों की उम्मीद दास्तान देती है जज्बातों को लहरों की कोशिश मुस्कान देती है लहरों की इशारों की धारा देती है।

खयालों को सपनों की सुबह खयाल देती है इरादों को बदलावों की आस एहसास देती है उम्मीदों को पहचान नजारों की धारा देती है।

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