Tuesday, 18 February 2025

कविता. ५४२२. आशाओं की महफिल अक्सर।

                       आशाओं की महफिल अक्सर।

आशाओं की महफिल अक्सर दिशाओं की लहर दिलाती है कदमों को अल्फाजों की मुस्कान अरमान सुनाकर जाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर अंदाजों की पुकार दिलाती है दास्तानों को नजारों की आहट अरमान सुनाकर जाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर जज्बातों की सौगात दिलाती है लम्हों को इशारों की पहचान अरमान सुनाकर जाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर राहों की अहमियत दिलाती है दिशाओं को बदलावों की राह अरमान सुनाकर जाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर सपनों की कोशिश दिलाती है किनारों को आवाजों की धून अरमान सुनाकर जाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर कदमों की आहट दिलाती है अंदाजों को एहसासों की कोशिश अरमान सुनाकर जाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर अदाओं की सरगम दिलाती है राहों को खयालों की पहचान अरमान सुनाकर जाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर उजालों की समझ दिलाती है लहरों को अफसानों की उमंग अरमान सुनाकर जाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर उम्मीदों की धारा दिलाती है आवाजों को कदमों की परख अरमान सुनाकर जाती है।

आशाओं की महफिल अक्सर अफसानों की सुबह दिलाती है जज्बातों को बदलावों की रोशनी अरमान सुनाकर जाती है।

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कविता. ५४७९. इस उम्मीद की।

                               इस उम्मीद की। इस उम्मीद की कोशिश तलाश दिलाती है लहरों को खयालों की समझ अरमान सुनाती है एहसासों को अफसानों की ...