Wednesday, 5 February 2025

कविता. ५४०९. नजारों की आहट अक्सर।

                         नजारों की आहट अक्सर।

नजारों की आहट अक्सर सपनों की पुकार देकर जाती है लम्हों को अल्फाजों की सरगम तलाश सुनाकर जाती है।

नजारों की आहट अक्सर अरमानों की कोशिश देकर जाती है किनारों को लहरों की अहमियत तराना सुनाकर जाती है।

नजारों की आहट अक्सर आवाजों की आस देकर जाती है उजालों को एहसासों की उमंग अंदाज सुनाकर जाती है।

नजारों की आहट अक्सर जज्बातों की रोशनी देकर जाती है अफसानों को आशाओं की सोच आवाज सुनाकर जाती है।

नजारों की आहट अक्सर राहों की मुस्कान देकर जाती है कदमों को उम्मीदों की कश्ती पहचान सुनाकर जाती है।

नजारों की आहट अक्सर दास्तानों की समझ देकर जाती है इशारों को खयालों की सौगात मुस्कान सुनाकर जाती है।

नजारों की आहट अक्सर अंदाजों की आस देकर जाती है जज्बातों को बदलावों की पुकार कोशिश सुनाकर जाती है।

नजारों की आहट अक्सर कदमों की पहचान देकर जाती है उम्मीदों को तरानों की अहमियत समझ सुनाकर जाती है।

नजारों की आहट अक्सर किनारों की सुबह देकर जाती है उजालों को आशाओं की धून अरमान सुनाकर जाती है।

नजारों की आहट अक्सर एहसासों की आस देकर जाती है दिशाओं को लहरों की आवाज सरगम सुनाकर जाती है।

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