Thursday, 6 February 2025

कविता. ५४१०. किसी एहसास संग।

                             किसी एहसास संग।

किसी एहसास संग आशाओं की कहानी दिशा देती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया सरगम देती है तरानों को इशारों की आहट देती है।

किसी एहसास संग सपनों की आस धारा देती है किनारों को बदलावों की समझ पहचान देती है आवाजों को उम्मीदों की आहट देती है।

किसी एहसास संग जज्बातों की रोशनी अदा देती है दास्तानों को नजारों की सुबह राह देती है अंदाजों को लम्हों की आहट देती है।

किसी एहसास संग कदमों की सौगात तलाश देती है अरमानों को अंदाजों की समझ सहारा देती है लहरों को खयालों की आहट देती है।

किसी एहसास संग दिशाओं की कोशिश बदलाव देती है उजालों को आवाजों की राह मुस्कान देती है आशाओं को लम्हों की आहट देती है।

किसी एहसास संग तरानों की समझ पहचान देती है अफसानों को बदलावों की सोच किनारा देती है खयालों को राहों की आहट देती है।

किसी एहसास संग अरमानों की परख समझ देती है उम्मीदों को अल्फाजों की दुनिया बदलाव देती है किनारों को अंदाजों की आहट देती है।

किसी एहसास संग लम्हों की महफिल पुकार देती है सपनों को जज्बातों की तलाश अहमियत देती है राहों को कदमों की आहट देती है।

किसी एहसास संग किनारों की सौगात सपना देती है नजारों को उजालों की सरगम अफसाना देती है अदाओं को राहों की आहट देती है।

किसी एहसास संग अरमानों की उमंग आवाज देती है दास्तानों को किनारों की पुकार उम्मीद देती है खयालों को नजारों की आहट देती है।

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