Sunday, 9 February 2025

कविता. ५४१३. इशारों को जज्बातों की।

                          इशारों को जज्बातों की।

इशारों को जज्बातों की रोशनी बदलाव दिलाती है तरानों को आशाओं की सरगम सोच सुनाती है एहसासों की सुबह देकर जाती है।

इशारों को जज्बातों की पुकार अफसाना दिलाती है दिशाओं को कदमों की लहर दास्तान सुनाती है किनारों की सुबह देकर जाती है।

इशारों को जज्बातों की तलाश अरमान दिलाती है राहों को अरमानों की आस आवाज सुनाती है सपनों की सुबह देकर जाती है।

इशारों को जज्बातों की समझ कोशिश दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया पहचान सुनाती है उजालों की सुबह देकर जाती है।

इशारों को जज्बातों की उम्मीद परख दिलाती है खयालों को नजारों की सौगात तराना सुनाती है आवाजों की सुबह देकर जाती है।

इशारों को जज्बातों की सरगम बदलाव दिलाती है आशाओं को अंदाजों की पुकार मुस्कान सुनाती है दास्तानों की सुबह देकर जाती है।

इशारों को जज्बातों की अदा उमंग दिलाती है तरानों को अफसानों की सोच अहमियत सुनाती है कदमों की सुबह देकर जाती है।

इशारों को जज्बातों की पहचान सहारा दिलाती है लम्हों को खयालों की सरगम सपना सुनाती है दिशाओं की सुबह देकर जाती है।

इशारों को जज्बातों की समझ तराना दिलाती है उजालों को किनारों की उम्मीद कोशिश सुनाती है राहों की सुबह देकर जाती है।

इशारों को जज्बातों की लहर आवाज दिलाती है अरमानों को नजारों की पहचान सरगम सुनाती है बदलावों की सुबह देकर जाती है।

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