Wednesday, 26 February 2025

कविता. ५४३०. ‌‌ अंदाजों से जुडकर।

                             अंदाजों से जुडकर।

अंदाजों से जुडकर मुस्कान दिलाती है लहरों को दास्तानों की सरगम आस सुनाती है अदाओं की समझ पहचान सुनाती है।

अंदाजों से जुडकर आवाज दिलाती है कदमों को अल्फाजों की दुनिया तलाश सुनाती है तरानों की सौगात पहचान सुनाती है।

अंदाजों से जुडकर रोशनी दिलाती है दिशाओं को आशाओं की आहट अफसाना सुनाती है नजारों की सोच पहचान सुनाती है।

अंदाजों से जुडकर कोशिश दिलाती है सपनों को राहों की पुकार एहसास सुनाती है अफसानों की उमंग पहचान सुनाती है।

अंदाजों से जुडकर उजाला दिलाती है जज्बातों को लम्हों की परख अरमान सुनाती है दिशाओं की पुकार पहचान सुनाती है।

अंदाजों से जुडकर उमंग दिलाती है किनारों को कदमों की सौगात अहमियत सुनाती है आवाजों की समझ पहचान सुनाती है।

अंदाजों से जुडकर अल्फाज दिलाती है इशारों को बदलावों की लहर खयाल सुनाती है अरमानों की सोच पहचान सुनाती है।

अंदाजों से जुडकर सहारा दिलाती है कदमों को अरमानों की सोच परख सुनाती है खयालों की अहमियत पहचान सुनाती है।

अंदाजों से जुडकर खयाल दिलाती है जज्बातों को आशाओं की सरगम तलाश सुनाती है लहरों की कोशिश पहचान सुनाती है।

अंदाजों से जुडकर नजारा दिलाती है आवाजों को धाराओं की सोच अफसाना सुनाती है किनारों की सुबह पहचान सुनाती है।

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