Tuesday, 25 February 2025

कविता. ५४२९. एहसासों को कदमों की।

                             एहसासों को कदमों की।

एहसासों को कदमों की सुबह आवाज सुनाती है लहरों को खयालों की सरगम सपना सुनाती है तरानों की पुकार सुनाकर जाती है।

एहसासों को कदमों की राह अफसाना सुनाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया परख सुनाती है आशाओं की पुकार सुनाकर जाती है।

एहसासों को कदमों की सोच पहचान सुनाती है किनारों को अंदाजों की सौगात मुस्कान सुनाती है राहों की पुकार सुनाकर जाती है।

एहसासों को कदमों की रोशनी बदलाव सुनाती है कदमों को अरमानों की आस तलाश सुनाती है दिशाओं की पुकार सुनाकर जाती है।

एहसासों को कदमों की कोशिश कहानी सुनाती है जज्बातों को आशाओं की उमंग अफसाना सुनाती है सपनों की पुकार सुनाकर जाती है।

एहसासों को कदमों की दास्तान इशारा सुनाती है बदलावों को धाराओं की सुबह अरमान सुनाती है नजारों की पुकार सुनाकर जाती है।

एहसासों को कदमों की आहट उम्मीद सुनाती है आशाओं को उजालों की आस अहमियत सुनाती है लहरों की पुकार सुनाकर जाती है।

एहसासों को कदमों की सौगात आवाज सुनाती है इरादों को किनारों की सोच खयाल सुनाती है जज्बातों की पुकार सुनाकर जाती है।

एहसासों को कदमों की समझ कोशिश सुनाती है अफसानों को दिशाओं की आहट तलाश सुनाती है अदाओं की पुकार सुनाकर जाती है।

एहसासों को कदमों की परख अरमान सुनाती है उम्मीदों को खयालों की सरगम आवाज सुनाती है अंदाजों की पुकार सुनाकर जाती है।

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