Friday, 21 February 2025

कविता. ५४२५. अल्फाजों की समझ संग।

                         अल्फाजों की समझ संग।

अल्फाजों की समझ संग आशाओं की सुबह मुस्कान दिलाती है कदमों को अरमानों की दुनिया तलाश दिलाती है राहों की सरगम दिलाती है।

अल्फाजों की समझ संग नजारों की आस पहचान दिलाती है जज्बातों को बदलावों की कहानी कोशिश दिलाती है लहरों की सरगम दिलाती है।

अल्फाजों की समझ संग दिशाओं की सौगात तराना दिलाती है अदाओं को दास्तानों की सोच परख दिलाती है सपनों की सरगम दिलाती है।

अल्फाजों की समझ संग आवाजों की आहट खयाल दिलाती है नजारों को लम्हों की उम्मीद सुबह दिलाती है एहसासों की सरगम दिलाती है।

अल्फाजों की समझ संग अफसानों की सोच उमंग दिलाती है राहों को उजालों की रोशनी लम्हा दिलाती है इशारों की सरगम दिलाती है।

अल्फाजों की समझ संग दास्तानों की पहचान आवाज दिलाती है उम्मीदों को तरानों की पुकार दास्तान दिलाती है अंदाजों की सरगम दिलाती है।

अल्फाजों की समझ संग इरादों की कोशिश एहसास दिलाती है लहरों को जज्बातों की आवाज अरमान दिलाती है लम्हों की सरगम दिलाती है।

अल्फाजों की समझ संग उम्मीदों की अंदाज अरमान दिलाती है सपनों को अंदाजों की पहचान उम्मीद दिलाती है नजारों की सरगम दिलाती है।

अल्फाजों की समझ‌‌ संग किनारों की कश्ती पुकार दिलाती है अफसानों को आशाओं की धारा एहसास दिलाती है राहों की सरगम दिलाती है।

अल्फाजों की समझ संग दिशाओं की आस तलाश दिलाती है तरानों को इशारों की पुकार कोशिश दिलाती है खयालों की सरगम दिलाती है।

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