Friday, 14 February 2025

कविता. ५४१८. उजालों की सुबह अक्सर।

                           उजालों की सुबह अक्सर।

उजालों की सुबह अक्सर तरानों की तलाश दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया अफसाना दिलाती है नजारों को एहसास दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर सपनों की आहट दिलाती है कदमों को अरमानों की सोच किनारा दिलाती है जज्बातों को एहसास दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर खयालों की सोच दिलाती है बदलावों को धाराओं की आस उमंग दिलाती है आवाजों को एहसास दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर अदाओं की कोशिश दिलाती है आशाओं को इशारों की आहट लहर दिलाती है राहों को एहसास दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर दास्तानों की परख दिलाती है किनारों को इरादों की पहचान सहारा दिलाती है अरमानों को एहसास दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर उम्मीदों की सौगात दिलाती है अल्फाजों को राहों की अहमियत समझ दिलाती है अंदाजों को एहसास दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर लहरों की उम्मीद दिलाती है अफसानों को दिशाओं की कोशिश तलाश दिलाती है आशाओं को एहसास दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर अरमानों की सोच दिलाती है कदमों को लहरों की कहानी पहचान दिलाती है इशारों को एहसास दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर किनारों की सरगम दिलाती है लम्हों को दास्तानों की समझ आस दिलाती है दिशाओं को एहसास दिलाती है।

उजालों की सुबह अक्सर आवाजों की धून दिलाती है अरमानों को नजारों की पुकार सहारा दिलाती है सपनों को एहसास दिलाती है।


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