Saturday, 20 December 2025

कविता. ५७२७. किनारा अक्सर।

                               किनारा अक्सर।

किना‌‌रा अक्सर आशाओं के सपने देता है लम्हों को अल्फाजों की समझ संग अरमानों की रोशनी देकर आगे चलता है।

किनारा अक्सर दास्तानों के इशारे देता है दिशाओं को लहरों की दुनिया संग आवाजों की धून देकर आगे चलता है।

किनारा अक्सर अरमानों के नजारे देता है अदाओं को एहसासों की उमंग संग उजालों की कहानी देकर आगे चलता है।

किनारा अक्सर तरानों के अफसाने देता है राहों को खयालों की सरगम संग जज्बातों की मुस्कान देकर आगे चलता है।

किनारा अक्सर अंदाजों के उम्मीदे देता है धाराओं को अंदाजों की पुकार संग बदलावों की तलाश देकर आगे चलता है।

किनारा अक्सर खयालों के तराने देता है आवाजों को लम्हों की अहमियत संग दिशाओं की समझ देकर आगे चलता है।

किनारा अक्सर लम्हों के उजाले देता है अदाओं को उम्मीदों की आस संग धाराओं की कोशिश देकर आगे चलता है।

किनारा अक्सर राहों के इरादे देता है कदमों को जज्बातों की पुकार संग अदाओं की सरगम देकर आगे चलता है।

किनारा अक्सर सपनों के लम्हे देता है खयालों को राहों की अहमियत संग उम्मीदों की आहट देकर आगे चलता है।

किनारा अक्सर अदाओं के लहरे देता है बदलावों को कदमों की आस संग एहसासों की अंदाज देकर आगे चलता है।

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