Sunday, 21 December 2025

कविता. ५७२८. एक लहर से।

                                एक लहर से।

एक लहर से उम्मीद जगाकर जाती है तरानों को अरमानों की सोच एहसास दिलाती है कदमों की आहट अल्फाज सुनाती है।

एक लहर से आवाज जगाकर जाती है जज्बातों को बदलावों की सुबह दास्तान दिलाती है इशारों की तलाश अल्फाज सुनाती है।

एक लहर से अंदाज जगाकर जाती है किनारों को अंदाजों की उमंग अफसाना दिलाती है राहों की कहानी अल्फाज सुनाती है।

एक लहर से पहचान जगाकर जाती है खयालों को सपनों की आहट अहमियत दिलाती है धाराओं की मुस्कान अल्फाज सुनाती है।

एक लहर से समझ जगाकर जाती है आशाओं को अदाओं की रोशनी उजाला दिलाती है अंदाजों की पुकार अल्फाज सुनाती है।

एक लहर से उमंग जगाकर जाती है इशारों को जज्बातों की कहानी खयाल दिलाती है अफसानों की महफिल अल्फाज सुनाती है।

एक लहर से सुबह जगाकर जाती है दिशाओं को आवाजों की धून पहचान दिलाती है नजारों की समझ अल्फाज सुनाती है।

एक लहर से तलाश जगाकर जाती है अदाओं को राहों की पुकार कोशिश दिलाती है लम्हों की अहमियत अल्फाज सुनाती है।

एक लहर से आस जगाकर जाती है अंदाजों को सपनों की सरगम तराना दिलाती है बदलावों की सौगात अल्फाज सुनाती है।

एक लहर से परख जगाकर जाती है उजालों को धाराओं की उम्मीद अंदाज दिलाती है नजारों की सोच अल्फाज सुनाती है।

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