Tuesday, 30 December 2025

कविता. ५७३७. अरमानों को लम्हों की।

                          अरमानों को लम्हों की।

अरमानों को लम्हों की कहानी खयाल सुनाती है तरानों को अफसानों की सोच मुस्कान देकर उम्मीद की लहर दिलाती है।

अरमानों को लम्हों की सरगम अंदाज सुनाती है दिशाओं को नजारों की आवाज अल्फाज देकर आस की लहर दिलाती है।

अरमानों को लम्हों की पुकार अहमियत सुनाती है अदाओं को जज्बातों की रोशनी दास्तान देकर बदलाव की लहर दिलाती है।

अरमानों को लम्हों की तलाश सरगम सुनाती है उजालों को सपनों की पहचान इशारा देकर अंदाज की लहर दिलाती है।

अरमानों को लम्हों की उमंग कोशिश सुनाती है एहसासों को किनारों की दास्तान उजाला देकर खयाल की लहर दिलाती है।

अरमानों को लम्हों की आहट धून सुनाती है धाराओं को दास्तानों की कोशिश अहमियत देकर सौगात की लहर दिलाती है।

अरमानों को लम्हों की परख एहसास सुनाती है राहों को आशाओं की पुकार जज्बात देकर अफसाने की लहर दिलाती है।

अरमानों को लम्हों की उमंग सपना सुनाती है तरानों को बदलावों की कहानी राह देकर आवाज की लहर दिलाती है।

अरमानों को लम्हों की सौगात बदलाव सुनाती है उम्मीदों को एहसासों की आस मुस्कान देकर जज्बात की लहर दिलाती है।

अरमानों को लम्हों की सुबह इरादा सुनाती है सपनों को अंदाजों की सरगम तराना देकर पहचान की लहर दिलाती है।

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कविता. ५७३७. अरमानों को लम्हों की।

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