Monday 14 August 2017

कविता. 1596 हर बार किसी नजर को।

                                                     हर बार किसी नजर को।
हर बार किसी नजर को पहचान लेने कि कोशिश अधूरी रहती है जो वह नजर बताती वह बात समझकर भी निगाहे अनजानसी बन जाती है जो जीवन मे हर लम्हे मे अलग किस्सों कि आवाज सुनाती है पर मन से जो बात बता हो वह बात छुपाई नही जाती है वह हर किस्से को अलग एहसास कि रोशनी देकर आगे चलती जाती है पर जाने क्यों कुछ बाते नजर से दूर होकर भी समझ का हिस्सा बन जाती है।
हर बार किसी नजर को अलग दिशाओं से समझने कि उम्मीद अधूरी रहती है जो अक्सर मन को कहती है उस नजर मे ही अक्सर सुबह रहती है जो जीवन मे हर मौके मे अलग उम्मीदों कि पहचान देकर जाती है जो जीवन मे हर अंदाज को एहसास कि रोशनी देकर जाती है जो जीवन मे हर पल को अलग तरानों कि रोशनी देकर आगे चलती जाती है पर जाने क्यों कोई नजर दूर होकर भी आप कि नजारों से खास बन जाती है।
हर बार किसी नजर को परखने से दिल कि दास्तान अधूरी रहती है जो अक्सर मन को कहती है वह नजर कुछ अलग एहसास देकर रहती है जो जीवन मे हर मौके मे अलग किनारों कि कोशिश देकर जाती है जो जीवन मे हर मौके को इरादों कि दास्तान देकर जाती है जो जीवन मे हर मोड को अलग पुकार को खुबसूरत एहसास देकर आगे चलती जाती है पर जाने क्यों वह उम्मीद दूर का एक नजारा बन जाती है।
हर बार किसी नजर को दूर रहने से आशाओं कि सुबह अधूरी रहती है जो वह मन को कहती है कि दूर से भी उम्मीद देकर रहती है जो जीवन मे हर लम्हे मे अलग ख्वाबों कि आवाज के साथ अलग पहचान देकर जाती है जो जीवन मे हर सपने को अलग पुकार कि आस दो पलों में हर मौके को अलग पहचान देकर आगे चलती जाती है पर जाने क्यों वह दूर से भी उम्मीदों कि पहचान का एक एहसास बन जाती है।
हर बार किसी नजर को पहचान लेने कि आदत अधूरी रहती है जो वह हर पल मे कहती है वह बात जीवन मे हर मोड को अलग पुकार तो देकर रहती है जो जीवन मे हर नजर को अलग पुकार कि उम्मीद देकर जाती है जो जीवन मे हर रंग को अलग राह कि आवाज मे अलग पुकार को हर मोड अलगसा देकर आगे चलती जाती है पर जाने क्यों वह सपनों कि दिशाओं कि जरुरत का एक नजारा बन जाती है।
हर बार किसी नजर को अदाओं से समझ लेने कि जरुरत अधूरी रहती है जो हर मौके मे कहती है वह उम्मीदों कि अलग आस खयाल तो देकर रहती है जो जीवन मे हर मोड को अलग नजरों कि पहचान देकर जाती है जो जीवन मे हर सपने को अलग अंदाज से जोडकर आगे बढने कि उम्मीद देकर जाती है जो जीवन मे हर एहसास को अलगसा एतबार देकर आगे चलती जाती है पर जाने क्यों वह कोशिश कम  बन जाती है।
हर बार किसी नजर को आशाओं से परख लेने कि कोशिश अधूरी रहती है जो हर पल मे कहती है वह एहसासों कि अलग दिशाएं तो देकर रहती है जो जीवन मे हर किस्से को अलग आशाओं कि दुनिया देकर जाती है जो जीवन मे हर लम्हे को अलग पुकार से जोडकर आगे बढने कि तलाश देकर जाती है जो जीवन मे हर उजाले को अलगसा मतलब देकर आगे चलती जाती है पर जाने क्यों वह नजर अलग किनारे कि मेहमान बन जाती है।
हर बार किसी नजर को पढने से उसे समझ लेने कि जरुरत अधूरी रहती है जो हर एहसास मे बदलाव कि कहानी कहती है जो जीवन मे हर मौके को अलग दिशाओं को अलग एतबार कि दास्तान देकर जाती है जो जीवन मे हर अल्फाज को अलग पुकार कि समझ देकर जाती है जो जीवन मे हर एहसास को ख्वाबों के साथ अलग पहचान देकर आगे जाती है पर जाने क्यों हर राह को अलग किस्सों से अलग किनारे कि सुबह बन जाती है।
हर बार किसी नजर को पहचान लेने से उसे परख लेने कि अहमियत अधूरी रहती है जो हर किस्से मे कुछ बाते कहती है जो जीवन मे हर घडी किसी जज्बात कि पहचान को दास्तान मे बदलकर आगे जाने कि जरुरत देकर जाती है जो जीवन मे हर राह को अलग पहचान कि दास्तान देकर जाती है जो जीवन मे हर बदलाव कि पहचान देकर आगे जाती है पर जाने क्यों हर नजारे को अलग तलाश कि उम्मीद देकर आगे जाने कि राह बन जाती है।
हर बार किसी नजर को दूर रखने से उम्मीद कि दास्तान अधूरी रहती है जो हर आस मे कुछ कहानियों कि आवाज देकर जाती है जो जीवन मे हर पल कि पुकार को रोशनी से समझकर आगे बढते रहने कि पहचान देकर जाती है जो जीवन मे हर मोड कि दास्तान को इरादे देकर आगे जाती है जो जीवन मे हर मौके को अलग राहे देकर जाती है जो जीवन मे हर बार दूर से ही दिखती है पर जाने क्यों उसे देखकर खुश होने कि आदत बन जाती है।

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