Monday, 18 December 2017

कविता. 1847. कभी कभी जाने क्यों।

                                                           कभी कभी जाने क्यों।
कभी कभी जाने क्यों जवाब सवाल कि तलाश मे दिखता है जो जीवन मे हर मोड पर अलग खुशियों कि सुबह देता है वह राह ही इन्सान कि तलाश मे फिरती है जिन्दगी कि गाडी कई किनारों से भटकती है जो जीवन मे हर मौके को अलग आशाओं कि आवाज किनारों कि जगह मझधार मे नजर आती है क्योंकि राही कि राह भटकसी जाती है जो जीवन मे अलग बदलावों कि सुबह देकर जाती है।
कभी कभी जाने क्यों उम्मीद राहों कि तलाश मे दिखती है जो जीवन मे हर मोड पर अलग अंदाजों कि दुनिया देती है वह उम्मीद कि धारा ही पत्थरों मे राही के इन्तजार मे फिरती है जो जीवन मे अलग एहसासों को उजाले देने कि कोशिश मे भटकती है इन्सान को जाने क्यों गलत दिशा कि आवाज भाती है जीवन कि उम्मीद इन्तजार मे दूर खडी नजर आती है जो जीवन मे मुसीबतों को सोच आसान राह देकर जाती है।
कभी कभी जाने क्यों उजालों कि रोशनी इन्सान कि तलाश मे दिखती है जो जीवन मे हर मोड पर अलग उम्मीदों कि सुबह देती है वह रोशनी कोनों में ही रह जाती है डर के मारे अंधियारे मे ही खुशी नजर आती है जो जीवन मे हर राह को मुश्किल देती जाती है जो नजरों को धुंधला बनाकर जाती है जीवन कि कहानी गलत पन्नों मे उलझ जाती है जीवन मे उजालों को आगे आने के लिए जिन्दगी जंग देकर जाती है।
कभी कभी जाने क्यों एहसासों कि उम्मीद इन्सान को पास लाने कि कोशिश कि तलाश मे दिखती है जो जीवन मे हर मौके कि जरुरत है वही अनजाने मे ठुकराई जाती है जीवन मे मुसीबतों के भंवर मे दुनिया कुछ ऐसी फंस जाती है सही राह भी उलझन सी नजर आती है उम्मीदों कि रोशनी अनजाने मे मुसीबतों कि शुरुआत नजर आ जाती है जीवन मे उम्मीदों कि सुबह को रोक लगाकर उलझन देकर जाती है।
कभी कभी जाने क्यों मुस्कान चेहरे कि हंसी कि तलाश मे दिखती है जो जीवन मे हर मोड पर जरुरी रहती है पर अक्सर किसी दर्द से लढते लढते अनजाने मे ठुकराई जाती है जीवन मे मन का जख्म भरने का बहाना होती है वही मुस्कान किसी किनारे पर अक्सर तनहा नजर आती है दर्द कि कहानी लिखने मे मन कि सारी सोच कुछ ऐसे उलझ जाती है कि मुस्कान को जिन्दगी एक किनारा देकर जाती है।
कभी कभी जाने क्यों आशाओं कि राहे इन्सान कि सोच कि तलाश मे दिखती है जो जीवन मे हर मोड को अलग किनारों से उजाले देती रहती है पर अक्सर मुश्किल राहों के अंधियारे से लढने कि जरुरत एहसास देती रहती है जो जीवन मे कुछ ऐसे अंधियारे से कुछ वक्त के लिए जोड जाती है कि जीवन मे एहसासों को अंधियारे मे सच्चाई दिखती है सच्ची आशाओं कि कश्ती पास रहकर भी जिन्दगी उसे कम पल देकर जाती है।
कभी कभी जाने क्यों रोशनी कि दुनिया इन्सान कि समझ कि तलाश मे दिखती है जो जीवन मे हर मोड को अलग आशाओं से समझ देती रहती है पर अक्सर खयालों कि सोच मे अंधियारों कि समझ बैठी रहती है कि उम्मीदे जीवन मे दूर दिशाओं कि राह पर सही नजर आती है जो जीवन मे हर मोड को अलग आशाओं कि पहचान दिखाती है जो जीवन मे हर मोड को अंधियारों से लढने कि ताकत देकर जाती है।
कभी कभी जाने क्यों उजाले कि राह जिन्दगी कि तलाश मे दिखती है जो जीवन मे हर मोड को अलग कदमों से परख कि सुबह देती रहती है पर अक्सर दिशाओं कि पहचान मे जिन्दगी कुछ इस कदर उलझती रहती है जो जीवन मे हर अंदाज को अलग दास्तानों कि सुबह देती है वही जीवन से दूर रखने कि कोशिश हो जाती है उम्मीदों कि चाहत मे मायूसी पास आ जाती है जो जीवन मे उजालों कि राह को दूरी देकर जाती है।
कभी कभी जाने क्यों सुबह इन्सान कि तलाश मे दिखती है जो जीवन मे हर मोड को अलग आवाजों से जोडकर शुरुआत देती रहती है पर अक्सर किनारों कि तलाश मे रोशनी कि शुरुआत नजर आती रहती है जो जीवन मे हर किस्से को अलग दास्तानों कि पहचान देती है जो जीवन मे कुछ कदमों के गलत एहसास से दूर निकल जाती है जो जीवन मे हर पल को पास होकर भी दूर अक्सर दिखायी देकर जाती है।
कभी कभी जाने क्यों उम्मीदों कि रोशनी इन्सान कि एहसासों के तलाश मे दिखती है जो जीवन मे हर मोड को अलग आशाओं कि पहचान देती रहती है पर अक्सर कदमों कि अलग राह जिन्दगी को अंधियारे देती रहती है जो जीवन मे हर पल कि उलझन देती है जो जीवन मे कुछ राहों मे पिछे मुडने कि सलाह देती है जो जीवन मे हर मोड को सही राह के लिए बदलाव कि आस देकर जाती है।

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