Friday, 17 January 2025

कविता. ५३९०. हर जज्बात संग उम्मीद।

                            हर जज्बात संग उम्मीद।

हर जज्बात संग उम्मीद तराना दिलाती है आवाजों की धून से एहसासों की धारा दिलाती है लम्हों को दिशाओं की तलाश खयाल दिलाती है।

हर जज्बात संग उम्मीद किनारा दिलाती है सपनों की आस से अरमानों की पुकार दिलाती है अंदाजों को इरादों की कहानी खयाल दिलाती है।

हर जज्बात संग उम्मीद अरमान दिलाती है राहों की रोशनी से अल्फाजों की कोशिश दिलाती है नजारों को अदाओं की पुकार खयाल दिलाती है।

हर जज्बात संग उम्मीद सौगात दिलाती है तरानों की सोच से कदमों की आहट दिलाती है राहों को अफसानों की उमंग खयाल दिलाती है।

हर जज्बात संग उम्मीद सरगम दिलाती है लम्हों की आहट से आशाओं की मुस्कान दिलाती है इशारों को किनारों की सौगात खयाल दिलाती है।

हर जज्बात संग उम्मीद पुकार दिलाती है लहरों की कोशिश से कदमों की धून दिलाती है आशाओं को दास्तानों की रोशनी खयाल दिलाती है।

हर जज्बात संग उम्मीद आस दिलाती है अंदाजों की पहचान से आवाजों की सरगम दिलाती है अरमानों को बदलावों की धून खयाल दिलाती है।

हर जज्बात संग उम्मीद अफसाना दिलाती है लहरों की समझ से इशारों की राह दिलाती है आवाजों को अल्फाजों की मुस्कान खयाल दिलाती है।

हर जज्बात संग उम्मीद इरादा दिलाती है उजालों की सुबह से अंदाजों की अहमियत दिलाती है नजारों को दिशाओं की समझ खयाल दिलाती है।

हर जज्बात संग उम्मीद नजारा दिलाती है बदलावों की धून से लम्हों की पहचान दिलाती है अल्फाजों को किनारों की कोशिश खयाल दिलाती है।

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