Saturday, 4 January 2025

कविता. ५३७७. उजालों संग सुबह अक्सर।

                           उजालों संग सुबह अक्सर।

उजालों संग सुबह अक्सर आशाओं की पहचान दिलाती है लम्हों को खयालों की समझ एहसास दिलाती है कदमों को अदाओं की तलाश दिलाती है।

उजालों संग सुबह अक्सर अरमानों की कहानी दिलाती है किनारों को सपनों की आस अफसाना दिलाती है लहरों को इशारों की तलाश दिलाती है।

उजालों संग सुबह अक्सर आवाजों की धून दिलाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान कोशिश दिलाती है एहसासों को उम्मीदों की तलाश दिलाती है।

उजालों संग सुबह अक्सर तरानों की उमंग दिलाती है इरादों को जज्बातों की सौगात आवाज दिलाती है खयालों को अल्फाजों की तलाश दिलाती है।

उजालों संग सुबह अक्सर अंदाजों की परख दिलाती है दिशाओं को नजारों की कहानी सरगम दिलाती है जज्बातों को किनारों की तलाश दिलाती है।

उजालों संग सुबह अक्सर नजारों की पुकार दिलाती है अदाओं को आवाजों की धून अहमियत दिलाती है राहों को अरमानों की तलाश दिलाती है।

उजालों संग सुबह अक्सर अफसानों की कोशिश दिलाती है अंदाजों को इरादों की उमंग अरमान दिलाती है लम्हों को नजारों की तलाश दिलाती है।

उजालों संग सुबह अक्सर उम्मीदों की बदलाव दिलाती है आशाओं को एहसासों की धून आस दिलाती है तरानों को लहरों की तलाश दिलाती है।

उजालों संग सुबह अक्सर दिशाओं की रोशनी दिलाती है कदमों को खयालों की समझ इरादा दिलाती है अफसानों को आवाजों की तलाश दिलाती है।

उजालों संग सुबह अक्सर दास्तानों की परख दिलाती है उम्मीदों को अफसानों की पहचान सहारा दिलाती है सपनों को किनारों की तलाश दिलाती है।


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