Thursday, 2 January 2025

कविता. ५३७५ कोई सपना आशाओं की।

                             कोई सपना आशाओं की।

कोई सपना आशाओं की पहचान दिलाकर जाता है एहसासों को उम्मीदों की कहानी संग किनारा दिलाकर जाता है जज्बातों को अंदाजों की परख दिलाकर जाता है।

कोई सपना आशाओं की कोशिश दिलाकर जाता है इशारों को राहों की अहमियत संग नजारा दिलाकर जाता है अरमानों को खयालों की आस दिलाकर जाता है।

कोई सपना आशाओं की उमंग दिलाकर जाता है कदमों को उजालों की सुबह संग मुस्कान दिलाकर जाता है तरानों को किनारों की पुकार दिलाकर जाता है।

कोई सपना आशाओं की रोशनी दिलाकर जाता है अल्फाजों को दास्तानों की सोच संग आवाज दिलाकर जाता है अदाओं को दिशाओं की पहचान दिलाकर जाता है।

कोई सपना आशाओं की सौगात दिलाकर जाता है नजारों को कदमों की आहट संग अल्फाज दिलाकर जाता है राहों को जज्बातों की मुस्कान दिलाकर जाता है।

कोई सपना आशाओं की तलाश दिलाकर जाता है इरादों को आवाजों की सौगात संग अदा दिलाकर जाता है लहरों को नजारों की कहानी दिलाकर जाता है।

कोई सपना आशाओं की पुकार दिलाकर जाता है किनारों को अल्फाजों की सरगम संग अंदाज दिलाकर जाता है उजालों को लम्हों की उमंग दिलाकर जाता है।

कोई सपना आशाओं की तलाश दिलाकर जाता है दास्तानों को अदाओं की आस संग अरमान दिलाकर जाता है अफसानों को कदमों की आहट दिलाकर जाता है।

कोई सपना आशाओं की उम्मीद दिलाकर जाता है लहरों को अंदाजों की समझ संग आवाज दिलाकर जाता है बदलावों को इरादों की कहानी दिलाकर जाता है।

कोई सपना आशाओं की कहानी दिलाकर जाता है आवाजों को किनारों की कोशिश संग तराना दिलाकर जाता है अंदाजों को दिशाओं की समझ दिलाकर जाता है।

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