Sunday, 26 January 2025

कविता. ५३९९. अरमानों से सपनों की।

                        अरमानों से सपनों की।

अरमानों से सपनों की आहट अल्फाज देती है किनारों को कोशिश एहसास देकर जाती है लहरों को खयालों की पुकार देती है।

अरमानों से सपनों की सोच रोशनी देती है अफसानों को आवाज पहचान देकर जाती है उजालों को किनारों की पुकार देती है।

अरमानों से सपनों की सौगात परख देती है एहसासों को अदा अहमियत देकर जाती है दास्तानों को नजारों की पुकार देती है।

अरमानों से सपनों की आस खयाल देती है उम्मीदों को सरगम उमंग देकर जाती है जज्बातों को अंदाजों की पुकार देती है।

अरमानों से सपनों की तलाश कोशिश देती है नजारों को सौगात मुस्कान देकर जाती है आशाओं को बदलावों की पुकार देती है।

अरमानों से सपनों की उमंग लहर देती है जज्बातों को आस परख देकर जाती है कदमों को अल्फाजों की पुकार देती है।

अरमानों से सपनों की उम्मीद राह देती है कदमों को सोच इरादा देकर जाती है तरानों को इशारों की पुकार देती है।

अरमानों से सपनों की सुबह पहचान देती है उम्मीदों को उमंग इशारा देकर जाती है अफसानों को आशाओं की पुकार देती है।

अरमानों से सपनों की कहानी अहमियत देती है खयालों को अंदाज मुस्कान देकर जाती है किनारों को कदमों की पुकार देती है।

अरमानों से सपनों की दास्तान तलाश देती है तरानों को समझ पहचान देकर जाती है एहसासों को राहों की पुकार देती है।

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