Friday, 17 October 2025

कविता. ५६६३. एक कोशिश संग मुस्कान।

                         एक कोशिश संग मुस्कान।

एक कोशिश संग मुस्कान उम्मीदों के इशारे देती है उजालों को सपनों की आहट तलाश दिलाती है राहों को अरमान दिलाती है।

एक कोशिश संग मुस्कान इरादों के तराने देती है किनारों को कदमों की सौगात सरगम दिलाती है जज्बातों को अरमान दिलाती है।

एक कोशिश संग मुस्कान आवाजों के अफसाने देती है खयालों को नजारों की समझ बदलाव दिलाती है लम्हों को अरमान दिलाती है।

एक कोशिश संग मुस्कान दास्तानों के इरादे देती है अफसानों को आशाओं की महफिल सोच दिलाती है लहरों को अरमान दिलाती है।

एक कोशिश संग मुस्कान धाराओं के नजारे देती है राहों को दास्तानों की अहमियत अंदाज दिलाती है उम्मीदों को अरमान दिलाती है।

एक कोशिश संग मुस्कान बदलावों के लम्हे देती है आवाजों को अल्फाजों की उमंग पहचान दिलाती है अल्फाजों को अरमान दिलाती है।

एक कोशिश संग मुस्कान किनारों के उम्मीदे देती है धाराओं को तरानों की पुकार आवाज दिलाती है कदमों को अरमान दिलाती है।

एक कोशिश संग मुस्कान जज्बातों के किनारे देती है लम्हों को अल्फाजों की दुनिया बदलाव दिलाती है अदाओं को अरमान दिलाती है।

एक कोशिश संग मुस्कान दिशाओं के इशारे देती है लहरों को खयालों की आस जज्बात दिलाती है आवाजों को अरमान दिलाती है।

एक कोशिश संग मुस्कान राहों के उजाले देती है इशारों को बदलावों की पहचान उमंग दिलाती है किनारों को अरमान दिलाती है।

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कविता. ५६६९. मुस्कान को किनारों की।

                          मुस्कान को किनारों की। मुस्कान को किनारों की आवाज बदलाव सुनाती है तरानों की सरगम अक्सर एहसास दिलाती है लम्हों को द...