Wednesday, 29 October 2025

कविता. ५६७५. अफसानों को कदमों की।

                          अफसानों को कदमों की।

अफसानों को कदमों की सौगात तलाश सुनाती है नजारों संग धाराओं की कोशिश कहानी सुनाती है खयालों को उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की पुकार बदलाव सुनाती है एहसासों संग आशाओं की महफिल लहर सुनाती है दास्तानों को उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की सोच पहचान सुनाती है अदाओं संग दिशाओं की आवाज सरगम सुनाती है राहों को उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की आस उम्मीद सुनाती है तरानों संग लम्हों की सुबह अहमियत सुनाती है आशाओं को उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की रोशनी अल्फाज सुनाती है इशारों संग दास्तानों की समझ बदलाव सुनाती है अंदाजों को उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की आहट सोच सुनाती है दिशाओं संग अल्फाजों की दुनिया पुकार सुनाती है आवाजों को उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की परख समझ सुनाती है लम्हों संग खयालों की सरगम अरमान सुनाती है धाराओं को उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की सुबह सपना सुनाती है आशाओं संग लहरों की उम्मीद तराना सुनाती है जज्बातों को उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की आवाज अहमियत सुनाती है इरादों संग अरमानों की महफिल कहानी सुनाती है लम्हों को उमंग सुनाती है।

अफसानों को कदमों की सरगम दास्तान सुनाती है सपनों संग आवाजों की धून एहसास सुनाती है उम्मीदों को उमंग सुनाती है।


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