Monday, 20 October 2025

कविता. ५६६६. आहट संग किनारों की।

                             आहट संग किनारों की।

आहट संग किनारों की आवाज इशारा देती है उजालों को अरमानों की सुबह धाराएं देती है जज्बातों को बदलावों की कहानी सुनाती है।

आहट संग किनारों की उमंग दास्तान देती है तरानों को अफसानों की सोच अल्फाज देती है इशारों को अदाओं की कहानी सुनाती है।

आहट संग किनारों की तलाश नजारा देती है खयालों को राहों की अहमियत उमंग देती है लहरों को अंदाजों की कहानी सुनाती है।

आहट संग किनारों की पहचान आस देती है कदमों को अल्फाजों की सोच उम्मीद देती है दिशाओं को लम्हों की कहानी सुनाती है।

आहट संग किनारों की सौगात मुस्कान देती है इशारों को आशाओं की महफिल पुकार देती है एहसासों को राहों की कहानी सुनाती है।

आहट संग किनारों की परख आस देती है दास्तानों को इरादों की सरगम कोशिश देती है अंदाजों को दिशाओं की कहानी सुनाती है।

आहट संग किनारों की पुकार कोशिश देती है अदाओं को नजारों की राह अफसाना देती है तरानों को कदमों की कहानी सुनाती है।

आहट संग किनारों की सुबह लहर देती है उम्मीदों को उजालों की अहमियत खयाल देती है इरादों को एहसासों की कहानी सुनाती है।

आहट संग किनारों की मुस्कान अंदाज देती है आशाओं को लम्हों की कोशिश पहचान देती है अफसानों को राहों की कहानी सुनाती है।

आहट संग किनारों की सुबह एहसास देती है अंदाजों को अंदाजों की रोशनी अल्फाज देती है उजालों को इरादों की कहानी सुनाती है।

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