Thursday, 9 October 2025

कविता. ५६५५. अदाओं की सरगम संग।

                          अदाओं की सरगम संग।

अदाओं की सरगम संग कहानी इशारे दिलाती है आवाजों की धून अक्सर एहसास सुनाती है तरानों को आहट कोशिश दिलाती है।

अदाओं की सरगम संग उम्मीद किनारे दिलाती है लहरों की पुकार अक्सर अरमान सुनाती है उजालों को आहट कोशिश दिलाती है।

अदाओं की सरगम संग पहचान लम्हे दिलाती है दिशाओं की महफिल अक्सर अफसाना सुनाती है उम्मीदों को आहट कोशिश दिलाती है।

अदाओं की सरगम संग आवाज दास्ताने दिलाती है अरमानों की सौगात अक्सर परख सुनाती है आशाओं को आहट कोशिश दिलाती है।

अदाओं की सरगम संग समझ अफसाने दिलाती है जज्बातों की रोशनी अक्सर बदलाव सुनाती है राहों को आहट कोशिश दिलाती है।

अदाओं की सरगम संग सुबह नजारे दिलाती है इशारों की अहमियत अक्सर पुकार सुनाती है बदलावों को आहट कोशिश दिलाती है।

अदाओं की सरगम संग आस लहरे दिलाती है अंदाजों की पहचान अक्सर अल्फाज सुनाती है जज्बातों को आहट कोशिश दिलाती है।

अदाओं की सरगम संग उमंग उजाले दिलाती है कदमों की मुस्कान अक्सर पहचान सुनाती है खयालों को आहट कोशिश दिलाती है।

अदाओं की सरगम संग रोशनी तराने दिलाती है लम्हों की सौगात अक्सर मुस्कान सुनाती है बदलावों को आहट कोशिश दिलाती है।

अदाओं की सरगम संग तलाश सपने दिलाती है अल्फाजों की दुनिया अक्सर राह सुनाती है इशारों को आहट कोशिश दिलाती है।

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