Saturday, 4 October 2025

कविता. ५६५०. दास्तान संग आशाओं की।

                         दास्तान संग आशाओं की।

दास्तान संग आशाओं की पहचान इशारा देती है अल्फाजों को राहों की अहमियत मुस्कान दिलाती है लहरों की कहानी सुनाती है।

दास्तान संग आशाओं की महफिल अरमान देती है दिशाओं को किनारों की कोशिश आवाज दिलाती है लम्हों की कहानी सुनाती है।

दास्तान संग आशाओं की आस बदलाव देती है इशारों को जज्बातों की रोशनी तलाश दिलाती है किनारों की कहानी सुनाती है।

दास्तान संग आशाओं की सौगात तराना देती है आवाजों को धाराओं की समझ उमंग दिलाती है नजारों की कहानी सुनाती है।

दास्तान संग आशाओं की सुबह एहसास देती है खयालों को अरमानों की सोच पुकार दिलाती है उम्मीदों की कहानी सुनाती है।

दास्तान संग आशाओं की रोशनी उमंग देती है उजालों को सपनों की आहट अफसाना दिलाती है अंदाजों की कहानी सुनाती है।

दास्तान संग आशाओं की सरगम उम्मीद देती है कदमों को राहों की महफिल कोशिश दिलाती है दिशाओं की कहानी सुनाती है।

दास्तान संग आशाओं की अंदाज लहर देती है अदाओं को एहसासों की पुकार बदलाव दिलाती है इरादों की कहानी सुनाती है।

दास्तान संग आशाओं की समझ रोशनी देती है उजालों को किनारों की मुस्कान नजारा दिलाती है अदाओं की कहानी सुनाती है।

दास्तान संग आशाओं की आहट अल्फाज देती है तरानों को अफसानों की सोच उम्मीद दिलाती है राहों की कहानी सुनाती है।


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