Tuesday, 21 October 2025

कविता. ५६६७. एक इशारे की आहट।

                          एक इशारे की आहट।

एक इशारे की आहट अक्सर लहरों को पहचान दिलाती है लम्हों को अल्फाजों की समझ संग उम्मीदों की सौगात दिलाती है।

एक इशारे की आहट अक्सर अरमानों को आवाज दिलाती है उजालों को सपनों की सोच संग आशाओं की सौगात दिलाती है।

एक इशारे की आहट अक्सर दास्तानों को आस दिलाती है जज्बातों को बदलावों की कोशिश संग राहों की सौगात दिलाती है।

एक इशारे की आहट अक्सर तरानों को मुस्कान दिलाती है कदमों को अंदाजों की सुबह संग दिशाओं की सौगात दिलाती है।

एक इशारे की आहट अक्सर नजारों को पुकार दिलाती है दास्तानों को लम्हों की अहमियत संग अदाओं की सौगात दिलाती है।

एक इशारे की आहट अक्सर जज्बातों को उमंग दिलाती है खयालों को किनारों की मुस्कान संग आवाजों की सौगात दिलाती है।

एक इशारे की आहट अक्सर उजालों को लम्हा दिलाती है अफसानों को राहों की सरगम संग एहसासों की सौगात दिलाती है।

एक इशारे की आहट अक्सर अल्फाजों को सुबह दिलाती है तरानों को आशाओं की कोशिश संग लहरों की सौगात दिलाती है।

एक इशारे की आहट अक्सर कदमों को आस दिलाती है अरमानों को आवाजों की धून संग दास्तानों की सौगात दिलाती है।

एक इशारे की आहट अक्सर दिशाओं को किनारा दिलाती है अंदाजों को नजारों की आस संग उम्मीदों की सौगात दिलाती है।

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